Hanuman Chalisa in Hindi PDF Download 2023

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जो भी हनुमान जी का भक्त Hanuman Chalisa in Hindi में Download करना चाहता है वह इस वेबसाइट पर आसानी से PDF Download कर सकता है। हमने जो इस वेबसाइट Hanuman Chalisa का PDF File उपलब्ध कराया है वह हमारे हिन्दू समुदाय के ऑफिसियल वेबसाइट hindutemplealbany.org से उपलब्ध कराया है।

हिन्दू होने के नाते हमे इस वेबसाइट के बारे में थोड़ी जानकारी रखनी चाहिए। द हिंदू टेम्पल सोसाइटी ऑफ़ द कैपिटल डिस्ट्रिक्ट की स्थापना सन 1976 में Loudonville, NY में हुआ था। इस मंदिर में हिंदू समुदाय के सभी वर्गों में गणेश, लक्ष्मी नारायण, शिव, पार्वती, श्रीनाथजी, हनुमान, राधा कृष्ण, स्वामीनारायण, नवग्रह, नागेश्वर, सरस्वती, दुर्गा, बुद्ध, भगवान की पूजा की जाती है।

इस लेख में Hindutemplealbany.ORG वेबसाइट के बारे बताना मुझे जरूरी लगा। इस लिए मैंने थोड़ी जानकारी दे दी है हिन्दू होने के नाते आपको इस वेबसाइट पर एक बार जरूर जाना चाहिए।

हम सभी जानते है की हनुमान जी को हम रामायण के माध्यम से जानते है क्यूंकि अगर राम जी के साथ हनुमान जी नहीं होते तो रावण को हराना मुश्किल था। ऐसा कहा जाता है की जब तक राम जी की पूजा नहीं की जाती है तब तक हनुमान जी की पूजा सफल नहीं माना जाता है। हिन्दू समाज में युवाओं के लिए हनुमान जी एक मार्गदर्शन के रूप में हमेसा उनकी सहायता करते है। इसलिए हर हिन्दू परिवार में सुबह की शुरुआत Hanuman Chalisa के साथ करना चाहिए।

इसलिए मैंने शुद्ध हिन्दी शब्द में अपने हिन्दू भाइयों के लिए हनुमान चालीसा का हिन्दी पीडीएफ फाइल लेकर आया हू। आप इस PDF File को Mobile में Download कर ले जब आपको फ्री टाइम मिले इसे याद कर लें। हनुमान चालीसा के निरंतर प्रार्थना से जीवन में आने वाली वधाओं को आप आसानी से पार कर लेंगे।

Hanuman Chalisa in Hindi PDF Download 2023


Hanuman Chalisa in Hindi PDF LYRICS

दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज निजमनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

महावीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन वरन विराज सुवेसा।
कानन कुण्डल कुंचित केसा।।

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै।
शंकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग वन्दन।।

विद्यावान गुणी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा।
नारद सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

तुम्हरो मंत्र विभीषन माना।
लंकेश्वर भये सब जग जाना।।
जुग सहस्र योजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना।।

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।।

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै।।

चारों युग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस वर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।

तुम्हरे भजन राम को भावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्त काल रघुबर पुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहिं बंदि महा सुख होई।।

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।

दोहा

पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।

FAQ

हनुमान चालीसा के रचयिता कौन है?

हनुमान चालीसा के रचयिता तुलसीदास हैं।

क्या हनुमान चालीसा पुस्तक को सबसे ज्यादा बार पढ़ा गया है ?

हाँ, दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली पुस्तक हनुमान चालीसा है।

हनुमान चालीसा को सबसे पहले कौन सुना था?

NDTV के रिपोर्ट के अनुसार हनुमान चालीसा को सबसे पहले खुद हनुमान जी सुने थे।

हनुमान चालीसा को कितने भाषा में अनुवाद गया है?

हनुमान चालीसा को अंग्रेजी के अलावे भारत के सभी भाषाओं में अनुवाद गया है।

हनुमान चालीसा में प्रथम शब्द ‘श्रीगुरु’ से क्यों शुरू किया गया है।

क्यूँकि इसमें श्री का संदर्भ सीता माता से है जिन्हे हुनमान जी अपना गुरु मानते थे।

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